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बयान / सरोज कुमार

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मुझे नहीं पता, वे क्यों पढ़ने आते हैं
मुझे नहीं पता, मै क्यों उन्हें पढाता हूँ
मुझे नहीं पता, वे इतने खुश क्यों हैं
मुझे नहीं पता, मैं अब तक दुखी क्यों नहीं!

मुझे नहीं पता, वे क्यों तिनके से बहते हैं
मुझे नहीं पता, क्यों तूफान से उफनते हैं!
इस पल में मेमनें उस पल में तेंदुए
किस रिंग मास्टर का खेल वे दिखाते हैं!

कक्षा के बाहर मैं, क्यों दर्शक बन जाता हूँ
कक्षा के भीतर क्यों नाटक दिखाता हूँ!
मुझ पर वे टीके हैं, यह उनका भ्रम है
उन पर टीके रहना, मेरा कार्यक्रम है!

मुझे नहीं पता, वे कहाँ से आए हैं
मुझे नहीं पता, वे कहाँ चले जाएँगे!
घाट की तरह बस मैं लहरों को गिनता हूँ
मुझे नहीं पता, नदी मेरी क्या लगती है!

मुझे नहीं पता, यह युद्ध या तमाशा है
ज्ञान और अज्ञान, कौन गोगियापाशा है!