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बरखा गीत / शीला पाण्डेय

चट-चट पट-पट झम-झम झिम-झिम
अररर-हररर रिम-झिम सिम-सिम
तड़-तड़ भुड़-भुड़ टिप-टिप टुप-टुप
घरर-घरर घुम सनन सांय चुप

शीत मीत की ठुनका-ठुनकी
पवन गीत की हुमका-हुमकी
नीर कलश की गहमा-गहमी
डरी किरन की सहमा-सहमी

घुटुनू पइयाँ धड़म धाँय-धुप
घटा लिपटती घनन-घनन घुप।

बजी दिशा में तुरहा-तुरही
व्याकुल हारे विरहा-विरही
छंद बिखेरें भिलना-भिलनी
सभी ओर बस मिलना-मिलनी

बिजली झाँक रही है लुकछुप
लता, पेड़ चढ़-चढ़ कर गुप-चुप।

सोम रसों की छीना-झपटी
नदिया पीकर है फिर रपटी
अधोवस्त्र में झिनका-झिनकी
वस्त्रहीन हैं निनका-निनकी

नाच रहे हैं छप-छप छुप-छुप
कीच उड़ाये झप-झप झुप-झुप।