बरखा के
भीगे दिन आये बरखा के
आओ, चलें पूजें जल-देवता
गीली पगडंडी पर
छाप मेंहराजा के पाँवों की
भरी नदी
खोज-खबर लेती है
मछुओं के गाँवों की
बरखा के
काले घन छाये बरखा के
आओ, चलें पूजें जल-देवता
अलसाई खिड़की को
थपकी दी रेशमी फुहारों ने
लहरों को चूम लिया
झुककर
पगली पतवारों ने
बरखा के
नव-तले साये बरखा के
आओ, चलें पूजें जल-देवता