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बरुनीन मैं नैन झुकैं उझकैं / ठाकुर

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बरुनीन मैं नैन झुकैं उझकैं, मनौ खंजन मीन के जाले परे।
दिन औधि के कैसे गनौं सजनी, अंगुरीनि के पोरन छाले परे॥
कवि 'ठाकुर ऐसी कहा कहिये, निज प्रीति किये के कसाले परे।
जिन लालन चाह करी इतनी, तिन्हैं देखिबे के अब लाले परे॥