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बर्फ की गहरी कठोर तह के सानिध्य में / आन्ना अख़्मातवा

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बर्फ की गहरी कठोर तह के सानिध्य में
तुम्हारे सफ़ेद घर में है रहस्यों का है डेरा
कितनी सौम्यता व शान्ति के साथ
हम दोनों घूम रहे हैं
नीरवता में अधखोए हुए-से।

हम गा रहे हैं सबसे मधुर गान
जो पहले कभी न गाया गया
क्या यह स्वप्न है
अथवा आकार ले रहा है कोई यथार्थ
तुम्हारे सिल्वर स्प्रूस से
हल्के छल्ले की तरह लिपटी हुई नन्हीं टहनियाँ
सहमति में हिलाए जा रही हैं अपनी मुंडियाँ लगातार।


अंग्रेज़ी से अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह