Last modified on 26 मई 2016, at 23:34

बलुमवा केॅ पाती लिखी देॅ हो बाबू / बैकुण्ठ बिहारी

बलुमवा केॅ पाती लिखी देॅ हो बाबू
पहिंलें प्रणाम लिखोॅ पिया के चरणमा
जेकरा में बसै छै हो हमरोॅ परनमा
जरै छी विरहा में हम्में दिन-राती
सुनी लेॅ बयान तबेॅ लिखहोॅ संदेशवा
युग एक बीती गेलै, गेलै परदेशवा
जियरा कठोर हुनकोॅ बज्जर के छाती
कारी-कारी रात लागै जेन्हों नगनियाँ
जहर चुआवै छै निगोड़ी चन्दनियाँ
अॅखिया जे भेलै राम नदी बरसाती
सूखी केॅ करंक भेलै सौना रं देहिया
जिया के जंजाल भेलै हमरोॅ सनेहिया
बुयिो नै जाय छै हमरोॅ प्राणोॅ केरोॅ बाती
पहुँची जों गेलौं तोरोॅ लिखलोॅ खबरिया
अबकी सबनमाँ जों ऐल्हौं हो सँवरिया
करभौं हुमें जिनगी भर ठकुरसुहाती