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"बस एक शख्स ऐसा हो , जो टूट कर वफ़ा करे / श्रद्धा जैन" के अवतरणों में अंतर

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हो एक ऐसा शख्स जो, मोहब्बत-ओ-वफ़ा करे
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बस एक शख्स ऐसा हो , जो टूट कर वफ़ा करे  
 
उठाए हाथ जब भी वो, मेरे लिए दुआ करे
 
उठाए हाथ जब भी वो, मेरे लिए दुआ करे
  
 
अकेले बैठूं जो कभी मैं, खुद को सोचती हुई
 
अकेले बैठूं जो कभी मैं, खुद को सोचती हुई
तो आँखें मूंद के मेरी, वो पीछे से हंसा करे
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तो मेरी आँखें मूँद कर, वो पीछे से हंसा करे  
  
मुझे बताए ग़लतियाँ भी, रास्ता दिखाए फिर
+
मुझे बताए ग़लतियाँ, दिखाए भी वो रास्ता
वो देखे बन के आइना, हरेक पल खुदा करे
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वो बन के आइना, मुझे हर एक पल दिखा करे  
  
हूँ जो खफा मनाए, करके भोली सी शरारतें
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मुझे खफा करे भी वो , मना भी ले दुलार से
 
जो खिलखिला के हंस पडूँ, तो एकटक तका करे
 
जो खिलखिला के हंस पडूँ, तो एकटक तका करे
  
हो पूरे ख्वाब कब, नहीं ये “श्रद्धा” जानती मगर
+
वो ख़्वाब पूरे होंगे कब, ये 'श्रद्धा' जानती नहीं
कज़ा से पहले चार दिन, खुशी के रब अता करे
+
कज़ा से पहले दो घड़ी ख़ुशी की, रब अता करे  
 
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02:09, 30 अप्रैल 2014 का अवतरण

बस एक शख्स ऐसा हो , जो टूट कर वफ़ा करे
उठाए हाथ जब भी वो, मेरे लिए दुआ करे

अकेले बैठूं जो कभी मैं, खुद को सोचती हुई
तो मेरी आँखें मूँद कर, वो पीछे से हंसा करे

मुझे बताए ग़लतियाँ, दिखाए भी वो रास्ता
वो बन के आइना, मुझे हर एक पल दिखा करे

मुझे खफा करे भी वो , मना भी ले दुलार से
जो खिलखिला के हंस पडूँ, तो एकटक तका करे

वो ख़्वाब पूरे होंगे कब, ये 'श्रद्धा' जानती नहीं
कज़ा से पहले दो घड़ी ख़ुशी की, रब अता करे