Last modified on 14 जून 2016, at 01:54

बस यही अपना ... / कात्यायनी

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:54, 14 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कात्यायनी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavi...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

एक परदा रोशनी का
एक चादर उदासी की
एक गठरी भूल - चूकों की
एक दरवाज़ा स्‍मरण का
एक आमन्त्रण समय का
एक अनुभव निकटता का
बस यही निज का रहा.
शेष सब साझा हुआ
सफ़र में जो साथ,
उन सबका हुआ।