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बहता जाता है अँधेरा भरा दरिया / त्रिपुरारि कुमार शर्मा

बहता जाता है अँधेरा भरा दरिया
राह तकती है किनारों पे खड़ी रातें

कुछ दिनों से चाँद नहाने नही आता