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बहाने से / विपिन चौधरी

अतीत की तलहटी में गोता लगाने के लिए
यह ध्यान रखना भी ज़रूरी था कि
साथ- साथ चल रहे समय के माथे पर बल न पड़ें
तब कई महीन बहाने तलाशने का काम करना पड़ा

फिर उन बहानों की डोर पर चल कर वो सब याद किया
जो मेरे ना चाहते हुए भी कहीं पीछे छूट गया था
यह कुछ-कुछ उल्टी दिशा में जा कर सोचने की बीमारी की तबियत का भी काम था

कुछ ठोस ना रचने की समय-सारणी में मैंने
एक बहाना तलाशा और उस बहाने के ज़रिए
पुरानी यादों की धार तेज़ की

तब दूर छिटक गई सहेलियों के बहाने से गुमशुदा सुख याद आया
अपने साथ खींच लाया जो
कुएँ, ढोल और पड़छती और गाँव की धूल भरी गलियाँ

शादी की रीत और बढ़ती उमर पर बात चलते ही
माँ-पिता का सम्बन्ध विच्छेद और दूध का जला छाछ भी
फूँक-फूँक कर पीने वाली कहावत दोनों
इकटठे ही याद आए

जीवन की तेज़ रफ़्तार के बहाने
चतुर सयाने लोग याद आए
पिछले दुख को भूलने के उपक्रम में
बहाने से नया ताज़ा ओढ़ा दुख याद आया
इसी बहाने की मार्फ़त
दुनिया के तमाम दुखों से दोस्ती का माकूल बहाना मिल सका ।