Last modified on 24 दिसम्बर 2014, at 14:43

बहुत दिनन पिय बसल बिदेसा / धरनीदास

बहुत दिनन पिय बसल बिदेसा।
आजु सुनल निज अवन संदेसा।
चित चिवसरिया मैं लिहलों लिखाई।
हृदय कमल धइलों दियना लेसाई।
प्रेम पलँग तहँ धइलों बिछाई।
नखसिख सहज सिंगार बनाई।
मन हित अगुमन दिहल चलाई।
नयन धइल दोउ दुअरा बैसाई।
धरनी धनि पलपल अकुलाई।
बिनु पिया जिवन अकारथ जाई।