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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=तेजेन्द्र शर्मा]][[Category:कविताएँ]]}}[[Category:तेजेन्द्र शर्मा]]<poem>बहुत से गीत ख्यालों में सो रहे थे मेरेतुम्हारे आने से जागे हैं, कसमसाए हैं
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~जो नग़मे आजतक मैं गुनगुना न पाया थातुम्हारी बज़्म में ख़ातिर तुम्हारी गाए हैं
बहुत मेरे हालात से गीत ख्यालों में सो रहे थे मेरे<br>अच्छी तरह तूं है वाकिफ़तुम्हारे आने से जागे हैं, कसमसाए ज़माने भर की ठोकरों के हम सताए हैं<br><br>
तेरे किरदार की तारीफ़ में जो नग़मे आजतक मैं गुनगुना न पाया था<br>लिखे थेतुम्हारी बज़्म उन्हीं नग़मों को अपने दिल में ख़ातिर तुम्हारी गाए हम बसाए हैं<br><br>
मेरे हालात से अच्छी तरह तूं है वाकिफ़<br>फूल, तारे औ चांद पड़ ग़ये पुराने हैंज़माने भर की ठोकरों के हम सताए अपने अरमानों से यादें तेरी सजाए हैं<br><br>
तेरे किरदार की तारीफ़ में जो लिखे थे<br>उन्हीं नग़मों को अपने दिल में हम बसाए हैं<br><br> फूल, तारे औ चांद पड़ ग़ये पुराने हैं<br>अपने अरमानों से यादें तेरी सजाए हैं<br><br> साक़ी पैमाना सागरो मीना, किसके लिए<br>तेरे मदमस्त नयन मुझको जो पिलाए हैं<br><br/poem>
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