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बहुत हुआ-3 / सुधीर मोता

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नमक खींच लाते
सागर से

पृथ्वी से
जल
और मेघ्ह से

सभी व्यतीत होता
और निर्मित
जो सहज टपक पड़ता
नेत्रों से

वह फल तन के
महावृक्ष का
कभी खुटा न
कभी रुका
कभी न सूखा
बहुत हुआ।