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बाँट-बखरा में सुख-दुख बँटा गइल बा / पी.चंद्रविनोद

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बाँट-बखरा में सुख-दुख बँटा गइल बा,
अपना माटी के खूशबू लुटा गइल बा

घुप अन्हरिया के जादू चढ़ल माथ पर,
चाँदनी उनका घर में छिंटा गइल बा

बिन बदरियों इहाँ पर ना आवेला घाम,
के दो सूरुज के चुपके लुका गइल बा

मोर नाचेला, हो-ईहो अब किस्सा भइल,
एह परिन्दा के सब पर कटा गइल बा

बोल तल्फत अंगारी बनल बा तबो,
नाँव उनकर अनेरे रटा गइल बा

अब सपनवो में कबहूँ पुकारब ना हम,
का कहीं दिल ई, दिल में सटा गइल बा