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"बाँस-बाँस पानी है/ शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर

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बाँस-बाँस पानी है   
 
बाँस-बाँस पानी है   
 
काग़ज़ की नाव  
 
काग़ज़ की नाव  
पैसों पर डोल रहे  
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पैसा पा डोल रहे  
 
अंगद के पाँव  
 
अंगद के पाँव  
  
सुविधाएँ माँग रही
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सुविधाएँ माँग रहीं 
 
मनमाने दाम,  
 
मनमाने दाम,  
 
खोखली व्यवस्था के  
 
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राजा के गाँव  
 
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उगल रह होंठों से  
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पल-पल पर ज्वाल
 
पल-पल पर ज्वाल
 
लोकतंत्र घाटी के  
 
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वादों की छाँव  
 
वादों की छाँव  
  
झूठों की राजसभा  
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झूठों को राजसभा  
 
सच्चों को जेल
 
सच्चों को जेल
 
अपराधी खेल रहे  
 
अपराधी खेल रहे  

21:02, 5 मार्च 2012 के समय का अवतरण

बाँस-बाँस पानी है
काग़ज़ की नाव
पैसा पा डोल रहे
अंगद के पाँव

सुविधाएँ माँग रहीं
मनमाने दाम,
खोखली व्यवस्था के
अश्व बेलगाम,
कौवों की काँव-काँव
राजा के गाँव

उगल रहे होंठों से
पल-पल पर ज्वाल
लोकतंत्र घाटी के
अगिया बैताल
शब्दों का सम्मोहन
वादों की छाँव

झूठों को राजसभा
सच्चों को जेल
अपराधी खेल रहे
सत्ता का खेल
रोटी के लाले हैं
व्यर्थ के दिखाव
बाँस-बाँस पानी है
काग़ज़ की नाव