Last modified on 1 सितम्बर 2019, at 21:34

बाज़ / अदनान कफ़ील दरवेश

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:34, 1 सितम्बर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अदनान कफ़ील दरवेश |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सुबह का सिपहसालार अपनी मशालें लेकर आता है
शहर में चुपचाप दाख़िल होता है उजाला
मैं दरवाज़ा नहीं खोलता
हवा का क़ासिद कुछ सूखे पत्ते रख जाता है दरवाज़े पर
मैं दरवाज़ा नहीं खोलता
शाम को आकाश में कई रंग होते हैं जिनसे बन सकती है एक मुकम्मल तस्वीर
मैं एक ऐसा मुसव्विर हूँ जिसकी कूची दम तोड़ चुकी है
मैं दरवाज़ा नहीं खोलता

हर रोज़ कुछ तेज़ धड़कता है दिल
हर रोज़ कुछ ज़्यादा घुटती है साँस
हर रात खुलता है मेरा दरवाज़ा बेख़ौफ़
हर रात सीने पर उतरता है रात का बाज़ !