भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बाजार बकेंदी बरफी (ढोला) / पंजाबी

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:37, 30 जनवरी 2010 का अवतरण (बाजार बकेंदी बरफी (ढोला)/ पंजाबी का नाम बदलकर बाजार बकेंदी बरफी (ढोला) / पंजाबी कर दिया गया है)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बाजार बकेंदी बरफी

मैंनू लैंदे निक्की जिही चरखी

ते दुखाँ दीया पूणीयाँ

जीवें ढोला !

ढोल जानी !

साडी गली आवें तैंडी मेहरबानी !


भावार्थ


--'बाज़ार में बरफ़ी बिकती है

मुझे छोटी-सी चरखी ले दो

और दुखों की पुनियाँ

जीते रहो, ढोला !

ओ ढोल, ओ प्राणधन !

तुम हमारी गली में आओ तो तुम्हारी मेहरबानी हो !'