भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बातचीत / जय गोस्वामी / रामशंकर द्विवेदी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बात करने के प्रयास में
आकाश ने
खिला दिया है एक तारा

और दूसरा तारा
तुम्हारे उत्तर ने —

हाँ,
मैं कल आ रही हूँ,
दोपहर के बाद

मूल बाँगला भाषा से अनुवाद : रामशंकर द्विवेदी