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बातें कहीं हज़ार मगर सच बोल गया / विनय कुमार

बातें कहीं हज़ार मगर सच बोल गया।
समझाया सौ बार मगर सच बोल गया।

शीश महल का मलवा पैरों के नीचे
सर पर थी तलवार मगर सच बोल गया।

पीछे से संगीनों ने हमला बोला
आगे थी दीवार मगर सच बोल गया।

ऐसी तपिष कि पिघल रहे थे पत्थर भी
स्वर में पड़ी दरार मगर सच बोल गया।

नया युधिष्ठिर भारी पड़ा पुराने पर
देख रहा था हार मगर सच बोल गया।