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बात तुम करना नहीं / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

इन उँगलियों की

बात तुम करना नहीं-

विषधरों के

डंक अनगिन

खा चुकीं ये ।

इन विषधरों की

बात तुम करना नहीं-

दूध जितना भी

पिलाओ

मंत्र वेदों के

सुनाओ

काटना

सीखा इन्होंने

जन्म से

मज़बूर हैं ये ।

इन मिठबोले

दोस्तों की

बात तुम करना नहीं-

सुधा तुम

इनको पिलाओ

इनके लिए तुम

मिट भी जाओ

लूटना है

धर्म इनका

दुष्कर्म ही

कर्म इनका ,

लाज सारी

घोल कर ये पी चुके हैं-

दुःख न करना

इन सभी को माफ़ करना

विषधरों को

मिठबोलो दोस्तों को ।