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बादल गरज रहें हैं सो जा / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

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बादल गरज रहे हैं सो जा
बिजली चमक रही हैं सो जा
बड़े बड़े मटके भर लाये
ढ़ोल बजाते नभ में आये
टप टप बरसेंगे तू सो जा
आँख मूँद कर सो जा सो जा

मछली तैरी अब तू सो जा
मेंढक उछला अब तू सो जा
ले पुरवइया हवा चली
निंदिया आई भली-भली
वर्षा का मौसम आया है
मेरे बेटे झटपट सो जा
आंख मूंद कर सो जा सो जा

रो मत ललुआ रो मत लाला
चुप हो हंस दे मेरे लाला
गोद में लेकर घूम रही मैं
सो जा सो जा बोल रही मैं
फिर क्यों रोया चुप हो जा
थपकी देती सो जा सो जा
आंख मूंद कर सो जा सो जा