Last modified on 26 फ़रवरी 2008, at 08:37

बादल / अनिल जनविजय

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:37, 26 फ़रवरी 2008 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पवन के घोड़ों पर सवार

दूर देश से आते हैं

जल भरी ढेरों मशकें लाते हैं

जब तक कुछ सोचे-समझे यह धरती

उसके साथ होली खेल आगे बढ़ जाते हैं

ख़ुद को आकाश का सम्बन्धी बतलाते हैं


(रचनाकाल : 1981)