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बादानोशी हर घड़ी अच्छी नहीं / सिया सचदेव

बादानोशी हर घड़ी अच्छी नहीं
देखो इतनी मैकशी अच्छी नहीं
 
जिस से लग जाए किसी के दिल पे ठेस
इतनी सच्ची बात भी अच्छी नहीं
 
क्या पता किस पल में क्या हो जायेगा
कैफ़ियत बीमार की अच्छी नहीं
 
चंद पल घर पे भी रहना चाहिए
इस क़दर आवारगी अच्छी नहीं
 
घर के बाहर फेक दो घर के चराग़
ग़म कदे में रौशनी अच्छी नहीं

आ न जाएँ वह अचानक ऐ सिया
एक दम इतनी ख़ुशी अच्छी नहीं