Last modified on 27 दिसम्बर 2013, at 10:08

बाद मरने के मेरे घर से यह सामाँ निकला / ग़ालिब

बूए-गुल, नाला-ए-दिल, दूदे चिराग़े महफ़िल
जो तेरी बज़्म से निकला सो परीशाँ निकला।

चन्द तसवीरें-बुताँ चन्द हसीनों के ख़ुतूत,
बाद मरने के मेरे घर से यह सामाँ निकला।