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बान्हल जाइछै सखेर लाडुआ / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

दुलहा विवाह करने के लिए ससुराल जाने को तैयर है। उसे दूर जाना है, इसलिए उससे लड्डू और दूध खाने का अनुरोध किया गया है। इस विधि में लड़की या लड़के का मामा अपनी बहन को इमली घोंटाता है और कुछ उपहार भी देता है।

बान्हल जाइछै संखेर<ref>शक्कर; शंख के समान</ref> लाडुआ<ref>लड्डू</ref>, औंटल जाइछै दूध।
पीबी लेहो आँरे दुलरुआ, जाय छअ बड़ी रे दूर॥1॥
अम्माँ सेॅ मिलि रे दुलरुआ, जाय छअ बड़ी रे दूर।
बाबा सेॅ मिलि ले रे दुलरुआ, जाय छअ बड़ी रे दूर॥2॥
इमली घोंटी<ref>इमली घोट लों; इमली-घोंटाई की विधि विवाह में संपन्न होती है। लड़का या लड़की का मामा उसकी आम्र-पल्लव दाँत से खोंटाता है। इसी विधि को ‘इमी-घोंटाई’ कहते हैं। पूर्णिया जिले में कहीं कहीं विवाह के लिए वर के प्रस्थान करने पर दुलहे को उसकी माँ, चाची या भाभी अपनी जाँघा पर बैठाकर दूध और केला खिलाकर इस विधि को संपन्न करती है।</ref> ले रे दुलरुआ, जैबे बड़ी रे दूर।
ऐंगना बूली ले<ref>घूम लो</ref> दुलरुआ, जैबे बड़ी रे दूर॥3॥

शब्दार्थ
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