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"बापड़ा रुंख / रूपसिंह राजपुरी" के अवतरणों में अंतर

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<poem>टांग टूटै घोड़ै नै,
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टांग टूटै घोड़ै नै,
 
मरवा दियो जावै।
 
मरवा दियो जावै।
 
सूख चुकै फूलां नै,
 
सूख चुकै फूलां नै,

09:26, 18 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

टांग टूटै घोड़ै नै,
मरवा दियो जावै।
सूख चुकै फूलां नै,
जलवा दियो जावै।
एकली छीयां खातर,
कुण लगावै रूंखां नै।
जका फल नीं देवै,
बानै कटवा दियो जावै।