Last modified on 16 अक्टूबर 2013, at 20:20

बापड़ा रुंख / रूपसिंह राजपुरी

Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:20, 16 अक्टूबर 2013 का अवतरण

टांग टूटै घोड़ै नै,
मरवा दियो जावै।
सूख चुकै फूलां नै,
जलवा दियो जावै।
एकली छीयां खातर,
कुण लगावै रूंखां नै।
जका फल नीं देवै,
बानै कटवा दियो जावै।