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बाप पुछेंहूँ बेटा कौनी कौनी, बिधि, मनतोर मोहलक हे / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बाप पुछेंहूँ<ref>पूछते हैं</ref> बेटा कौनी कौनी<ref>किस-किस; कौन-कौन</ref>, बिधि, मनतोर मोहलक<ref>मोह लिया</ref> हे।
चित तोर मोहलक हे॥1॥
जखनि<ref>जिस समय</ref> धोतिया पहिरौलक<ref>पहनाया</ref>, तखनि<ref>उस समय</ref> मन मोहलक हे।
जखनि अँगुठिया पहिरौलक, तखनि चित मोरा मोहलक हे॥2॥
जखनि जोड़बा पहिरौलक, तखनि मन मोरा मोहलक हे।
जखनि मोरिया पहिरौलक, तखनि मन मोरा मोहलक हे॥3॥

शब्दार्थ
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