Last modified on 16 सितम्बर 2015, at 15:53

बाबा जी की छींक / रमापति शुक्ल

घर-घर को चौंकाने वाली,
बाबा जी की छींक निराली!

लगता यहीं कहीं बम फूटा,
या कि तोप से गोला छूटा!
या छूटी बंदूक दुनाली,
बाबा जी की छींक निराली!

सोया बच्चा जगा चौंककर,
झबरा कुत्ता भगा, भौंककर!
झन्ना उठी काँस की थाली,
बाबा जी की छींक निराली!

दिन में दिल दहलाने वाली,
गहरी नींद हटाने वाली!
निशि में चोर भगाने वाली
बाबा जी की छींक निराली!

कभी-कभी तो हम डर जाते,
भगकर बिस्तर में छिप जाते!
हँसकर कभी बजाते ताली,
बाबा जी की छींक निराली!