भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बाबुल मेरो ब्याह रचाओ / ब्रजभाषा

Kavita Kosh से
अजय यादव (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:35, 26 अप्रैल 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=ब्रजभाषा }} <poem> रचाओ हो ब…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

रचाओ हो बाबुल मेरो ब्याह रचाओ - २

कैऊ कल्प बीत गये याकों
तौऊ भई नहिं शादी है
ब्रह्मा विष्णु गोद खिलाये
महादेव की दादी है....