देने चला गवाही जुम्मन
झूठी बातों की
राजा ने बुलवाया होगा
भेजा हरकारा
राज सुखों की चिट्ठी थी
क्या करता बेचारा
राजा को चिन्ता है अपने सिंहासन भर की
जुम्मन को चिन्ता है अपनी काली रातों की ।
चाय-पान थोड़ी सुख-सुविधा
मिलती रहे अगर
जुम्मन का बायाँ हाथ टीप दे
दस्तावेज़ों पर
‘भाई‘ और ‘भतीजे‘ राजा के कम हैं, वरना
राजा को दरकार नहीं जुम्मन के छातों की ।
गेहूँ के खेतों में राजा
सड़कें बनवाए
अपना अर्थशास्त्र जुम्मन को
राजा समझाए
नये-नये रिश्ते जुम्मन के अब दरबारों से
याद नहीं अंतिम कतार के रिश्ते नातों की ।