हमें दौड़ के इल्म सिखाते
ये बरात के घोड़े ।
हेकड़ हैं
जाँगर के टूटे
धड़कन के रोगीले ।
बौद्धभिक्षुओं से
संयत
शर्मीले ढीले-ढीले ।
सधी चाल की मज़बूरी को
ख़ूबी कहें निगोड़े ।
जनवासे से
वधू द्वार तक
यात्रा पेण्डूलम की ।
इन्हीं अयात्राओं के
पुँगव
बात करें दमख़म की ।
गत के नाज़भरे गुब्बारे
समय एक दिन फोड़े ।
हमें दौड़ के इल्म सिखाते
ये बरात के घोड़े ।