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बारात के घोड़े / राम सेंगर

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हमें दौड़ के इल्म सिखाते
ये बरात के घोड़े ।

हेकड़ हैं
जाँगर के टूटे
धड़कन के रोगीले ।
बौद्धभिक्षुओं से
संयत
शर्मीले ढीले-ढीले ।
सधी चाल की मज़बूरी को
ख़ूबी कहें निगोड़े ।

जनवासे से
वधू द्वार तक
यात्रा पेण्डूलम की ।
इन्हीं अयात्राओं के
पुँगव
बात करें दमख़म की ।
गत के नाज़भरे गुब्बारे
समय एक दिन फोड़े ।

हमें दौड़ के इल्म सिखाते
ये बरात के घोड़े ।