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बारिश-6 / पंकज राग

उसकी पैदाइश के दिन बहुत तेज़ बारिश हुई थी
एक गीली-गीली-सी दुनिया में वह आया और
उसने अपने चारों तरफ़ फिसलते लोगों को देखा
उसने रोकना चाहा पर ख़ुद ही फिसलने लगा
पूरा बचपन वह अपने फिसलने पर हँसता रहा
फिर पाँवों में मोच आती गई
उम्र के साथ बढ़ती गई
हँसी रुकने लगी और जकड़न ने उसे स्थिर कर दिया

इस दौरान कितनी ही बारिशें हुईं
कितने ही पौधे पेड़ बन गए
आज वह जिससे भी मिलता है
सभी कहते हैं कि वे भी पहचानते हैं उन पेड़ों को
इस दुनिया मेम सब के सब तेज़ बारिशों की नस्लें हैं
यह राज़ अब उसने जान लिया है