भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बारिश ही होती है वह / नंदकिशोर आचार्य

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:01, 31 मार्च 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बाद बारिश के
हरा हो जाता जो जंगल
क्या वही होता है
जल गया था जो
ताप में अपने?

जंगल नहीं होता है हरा, दरअसल
बारिश ही होती है वह
जंगल की तपिश
को पीती
अपने हरे में जीती।