भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बारिश / गैयोम अपोल्लीनेर / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:15, 28 नवम्बर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गैयोम अपोल्लीनेर |अनुवादक=अनिल ज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
अस्तित्त्वहीन लगती है
पर स्मृति में बरसती है
औरतों की आवाज़ों की तरह बारिश
बीते समय की बातों से
उन जादुई मुलाक़ातों से
मेरे मन में झरती है बून्द-बून्द बारिश
रुई-से फूले हुए बादल
कानों में गरजते हैं, बरसते हैं
ब्रह्माण्ड को शर्मसार करते हैं
ध्यान से सुनो तुम, मगर
बारिश की यह झरझर
रुदन का अपमान-भरा संगीत है यह पुराना
सुनो, ज़रा, ध्यान से सुनो, तुम यह साज
है यह टूट रहे बन्धनों की आवाज़
जो तुम्हें रोकते हैं इस धरती पर और स्वर्ग में ।
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय