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   '''मेरे मामा'''<br>
मेरे मामा
पहने कुर्ता
और पजामा ॥
बड़े सवेरे<br>हैं जग जाते ।<br>पाँच मील तक<br>बीसों केले<br>और चपाती ।<br>एक बार में<br>चट कर जाते ॥<br>मेरे मामा <br>अच्छे मामा ॥<br> 
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'''आ भाई सूरज'''<br>
आ भाई सूरज-<br>उतर धरा पर<br>ले आ गाड़ी<br>भरकर धूप ।<br>आ भाई सूरज-<br>बैठ बगल में<br>तापें हाथ<br>दमके रूप ।<br>आ भाई सूरज-<br>कोहरा अकड़े<br>तन को जकड़े<br>थके अलाव ।<br>आ भाई सूरज<br>चुपके-चुपके<br>छोड़ लिहाफ़<br>अपने गाँव ।<br>
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'''धूप की चादर'''<br> घना कुहासा छा जाता है , <br>ढकते धरती अम्बर ।<br>ठण्डी-ठण्डी चलें हवाएँ , <br>सैनिक जैसी तनकर ।<br>भालू जी के बहुत मज़े हैं-<br>ओढ़ लिया है कम्बल ।<br>सर्दी के दिन बीतें कैसे<br>ठण्डा सारा जंगल ।<br>खरगोश दुबक एक झाड़ में<br>काँप रहा था थर-थर ।<br>ठण्ड बहुत लगती कानों को<br>मिले कहीं से मफ़लर ।<br>उतर गया आँगन में सूरज<br>बिछा धूप की चादर ।<br>भगा कुहासा पल भर में ही<br>तनिक न देखा मुड़कर ।<br/poem>