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[[Category: सेदोका]]
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16पीछा न छोड़ेंगर्दिशें चली आईंमुँह नहीं ये मोड़ें,गिरे बारहा,न हम हार मानेन वे माँगें जुदाई।17बिके हाट मेंवे साधु-सन्त ज्ञानीजो लगाए मुखौटे,हम न बिकेभले दो कौड़ी के थेसिर ताने खड़े थे।18बीता जीवनन पहचाना हमेंन कभी जाना हमें,बदली राहें,अलग है दिशाएँअब मिल न पाएँ।19दूर सागरलेके खाली गागरभरने चले हम,बाँटी हमनेहर बूँद पथ मेंजो सागर से पाई.20हम क्या करें!दुआएँ बेअसरभटके रात-दिन,जहाँ भी रुके,गरम आँसुओं सेदर गीला मिला था।
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