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"बिखरे लफ़्ज़ / रंजना भाटिया" के अवतरणों में अंतर

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हवा के पंखो
 
हवा के पंखो
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ज़िंदगी कविता ....
 
ज़िंदगी कविता ....
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शबनम के कुछ कतरे
 
शबनम के कुछ कतरे
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कभी ना सच होने के लिए !
 
कभी ना सच होने के लिए !
  
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तेरी यादे  
  
 
दिल में दबी हुई
 
दिल में दबी हुई
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तो इनको चुपके से दफ़ना दूँ !
 
तो इनको चुपके से दफ़ना दूँ !
  
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बिंब
  
 
तेरे मेरे प्यार का
 
तेरे मेरे प्यार का

00:21, 17 सितम्बर 2009 का अवतरण

1
मीठी इच्छा

कुछ दिन
नभ पर
हमें भी तो
चमकाने दो
जाओ चाँद
तुम छुट्टी पर

2
मीठी इच्छा

हवा के पंखो
पर बने
एक आशियाना
सात गगन का
हो बस एक आसमान...


3
कविता

ज़िंदगी कविता ....
या
कविता ज़िंदगी...
यह सोचते सोचते
कई पन्ने रंग दिए
कई लम्हे गुज़ार दिए ...


4
सपने

शबनम के कुछ कतरे
यादो के जाल में
धीरे से चुपके से
बस यूँ ही आखो में
उतर आते हैं
कभी ना सच होने के लिए !

5
तेरी यादे

दिल में दबी हुई
कुछ अंतिम साँस जैसी
कोई कब्र गाह मिले
तो इनको चुपके से दफ़ना दूँ !

6
बिंब

तेरे मेरे प्यार का
एक मिला जुला चेहरा
जिसे दुनिया अब :
""हमारा"" कहती है !!