भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बिछिया तो म्हें झटझट पेरिया / मालवी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:59, 29 अप्रैल 2015 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बिछिया तो म्हें झटझट पेरिया
सोकनिया रा डर से
अनबट री जगाजोत हो
कूंकड़ो झट बोल्यो मारूजी
भैंस मंगाऊँ, मिनकी पालां
कूंकड़ा रो साल मिटावां
सोकड़ नो भरमायो, बैरन रो भरमायो
कूंकड़ो झट बोल्यो मारूजी