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बिना शीर्षक-2 / विजया सती

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सोचने से मेरी उलझनें बढ़ी हैं

चाहती हूँ, सोचना छोड़ दूँ !

बहरहाल

मेरी उलझनें

बढ़ गई हैं

क्योंकि मैं

सोच रही हूँ

सोचना कैसे छोड़ दूँ ?