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बिल्ली बोली / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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नए साल में चूहे ने,
बिल्ली को भेजा हार।
लिखा पत्र में आंटी इसको,
अभी करो स्वीकार।
बिल्ली बोली, किन्तु हार में
बंधी हुई हैं घंटी।
बेटे चूहे, इतनी ज्यादा,
मूर्ख नहीं है आंटी।