Last modified on 17 अप्रैल 2022, at 22:42

बिल्ली / बाद्लेयर / सुरेश सलिल

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:42, 17 अप्रैल 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बाद्लेयर |अनुवादक=सुरेश सलिल |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आ मेरी प्यारी बिल्ली,
यहाँ — मेरे प्रेमातुर हृदय पर !
पंखों से पकड़ कसकर
मुझे अपनी सुन्दर आँखों में मग्न होने दे—
धातु और गोभेद के उनके मिश्रण से

मेरी अँगुलियाँ जब सहलाती हैं आहिस्ते-आहिस्ते
तेरा सिर, तेरी लचीली पीठ
और मदमस्त होते हैं हाथ मेरे
तेरी विद्युत देह की छुअन से

देखता हूँ अपने मानस चक्षुओं में अपनी सहचरी को,
उसकी दीठि तेरी जैसी, आनन्दमयी ओ !
तेरी ही जैसी गूढ़ और ठण्डी
किसी ब्लेड की तरह काटती-चीरती हुई

और पैरों से सिर तक उसके चतुर हावभाव
एक ख़तरनाक ख़ुशबू का बहाव
चारों ओर भूरे शरीर के उसके ।

अंग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल