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बीज झूठ रो / ओम पुरोहित कागद

झूठ रा बीज
पड़तख
काळ-सुकाळ
अखूट।

झूठ उपजै
फळै सांच
मिटै झूठ रो बिरवौ
पण नीं मिटै
बीज झूठ रो।