एक बच्चे के चेहरे का रूप धरे कोई ताबूत,
एक क़िताब
किसी कौवे की आँतों के भीतर लिखी हुई,
एक जानवर लस्त-पस्त चलता कोई फूल लिए हुए,
एक पत्थर
किसी पागल के फेफड़ों के भीतर साँस लेता हुआ.
यही है ।
यही तो है बीसवीं सदी ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : मनोज पटेल