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बीस बिधि आऊँ दिन बारीये न पाऊँ और / आलम

बीस बिधि आऊँ दिन बारीये न पाऊँ और,
               याही काज वाही घर बांसनि की बारी है ।
नेंकु फिरि ऐहैं कैहैं दै री दै जसोदा मोहि,
               मो पै हठि माँगैं बंसी और कहूँ डारी है ।
'सेख' कहै तुम सिखवो न कछु राम याहि,
               भारी गरिहाइनु की सीखें लेतु गारी है ।
सँग लाइ भैया नेंकु न्यारौ न कन्हैया कीजै,
               बलन बलैया लैकें मैया बलिहारी है ।