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बुझता खीरा / सांवर दइया

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केई दिनां पैली तो
हरेक रै हकां खातर
खीरा उछाळतो बीं रो बाको
पण जद सूं सामैं आया है
चीकणा भरवां डील
बो बंद कमरां में बंद हुयग्यो
जकै सूं कानां तांईं नीं पूगै
फालतू लोगां रो हाको !