Last modified on 27 जुलाई 2013, at 15:44

बुतखाने भी कहने लगे अब काफिर हो आवारा हो / अबू आरिफ़

बुतखाने भी कहने लगे अब काफिर हो आवारा हो
कोई कहे है रंज में डूबा कोई कहे बेचारा हो

दर्द व गम रंज व अलम ये सब कोरी बाते है
जामे मुहब्बत पीकर देखों प्यार बड़ा ही प्यारा हो

सागर सागर दरिया दरिया सहरा सहरा देखों हो
तुम ही तुम हर सू हो चरचा एक तुम्हारा हो

दामन अपना चाक करे हो इश्क़ को भी बदनाम करे हो
इश्क़ का दरिया सब्र का दामन देखो साथ किनारा हो

रो रो काटी हिज्र की रातें आरिफ करे हो अपनी बात
आँसू अपना दामन अपना जीने का एक सहरा हो