Last modified on 16 नवम्बर 2017, at 17:55

बुद्धत्व / अनुराधा सिंह

शब्द लिखे जाने से अहम था
मनुष्य बने रहना
कठिन था
क्योंकि मुझे शब्दों से पहचाना जाए
या मनुष्यत्व से
यह तय करने का अधिकार नहीं था मेरे पास
शब्द बहुत थे मेरे
चटख चपल कुशल कोमल
मनुष्यत्व मेरा रूखा सूखा विरल
उन्होंने वही चुना जिसका मुझे डर था
चिरयौवन चुना शब्दों का
और चुनी वाक्पटुता
वे उत्सव के साथ थे
मेरा मनुष्य अकेला रह गया
बुढ़ाता समय के साथ
पकता, पाता वही बुद्धत्व
जो उनके किसी काम का नहीं।