http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%A8%E0%A4%BF_%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B9%E0%A5%8B_%E0%A4%B9%E0%A5%87_%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%A8,_%E0%A4%A8%E0%A5%82%E0%A4%A8%E0%A5%82_%E0%A4%95%E0%A5%87_%E0%A4%B9%E0%A5%87_%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%B9%E0%A4%B2%E0%A4%BE_/_%E0%A4%85%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE_%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%95%E0%A4%97%E0%A5%80%E0%A4%A4&feed=atom&action=historyबुनि देहो हे मालिन, नूनू के हे सेहला / अंगिका लोकगीत - अवतरण इतिहास2024-03-29T12:49:39Zविकि पर उपलब्ध इस पृष्ठ का अवतरण इतिहासMediaWiki 1.24.1http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%A8%E0%A4%BF_%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B9%E0%A5%8B_%E0%A4%B9%E0%A5%87_%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%A8,_%E0%A4%A8%E0%A5%82%E0%A4%A8%E0%A5%82_%E0%A4%95%E0%A5%87_%E0%A4%B9%E0%A5%87_%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%B9%E0%A4%B2%E0%A4%BE_/_%E0%A4%85%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE_%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%95%E0%A4%97%E0%A5%80%E0%A4%A4&diff=225571&oldid=prevLalit Kumar: '{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKCatAngikaRachna}} <poem> इस गीत में मा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया2017-04-27T11:59:44Z<p>'{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKCatAngikaRachna}} <poem> इस गीत में मा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया</p>
<p><b>नया पृष्ठ</b></p><div>{{KKGlobal}}<br />
{{KKLokRachna<br />
|रचनाकार=अज्ञात<br />
}}<br />
{{KKCatAngikaRachna}}<br />
<poem><br />
इस गीत में मालिन से मौर बनाने का अनुरोध किया गया है। मालिन सामग्री का अभाव दिखलाकर अपनी असमर्थता प्रकट करती है। लेकिन, इन चीजों के प्राप्त होने का उपयुक्त स्थान बतलाया गया है, जहाँ से वह आसानी से इन चीजों को प्राप्त कर सकती है। मालिन मौर गूँथने के लिए पर्याप्त पुरस्कार चाहती है, जिस कारण वह प्रारंभ में बहाने बना रही है।<br />
<br />
बुनि देहो हे मालिन, नूनू<ref>बच्चे के लिए प्यार का संबोधन</ref> के हे सेहला।<br />
हमरिओ देस हे मालिन, ठुठिला न कोरिला<ref>एक प्रकार का जलीय पौधा, जिसके डंठल से मौर बनते हैं</ref>।<br />
कैसे बुनभ हे मालिन, नूनू केर हे सेहला॥1॥<br />
लदिया<ref>नदी के</ref> किनारे हे मालिन, ठुठिला कोरिलबा।<br />
से बुनि देहो हे मालिन, नूनू केर सेहला॥2॥<br />
लदी किनारे नै छै, ठुठिला हे कोरिलबा।<br />
कैसे बुनबै रामा, नूनू केर हे सेहला॥3॥<br />
</poem><br />
{{KKMeaning}}</div>Lalit Kumar